15 Main Term Insurance Plans Tips and Important Information

15 Main Term Insurance Plans Tips and Important Information

Term insurance प्लान सभी लोग इंश्योरेंस को बहुत ज्यादा इंपोर्टेंस नहीं देते हैं परंतु अगर आपके परिवार के आर्थिक जिम्मेदारी आप पर निर्भर करती है तो ऐसी परिस्थितियों में आपको turm insurance पॉलिसी लेना आवश्यक हो जाता है

 मानव जीवन में बहुत सी अनिश्चिताऐं होती हैं जिनसे  कि मनुष्य के जीवन में नेचुरल और दुर्घटना वंश कारणों से मृत्यु के खतरों की आशंका बनी रहती है जब किसी दुर्घटना के कारण कोई व्यक्ति मर जाता है या किसी प्रकार की शारीरिक विकलांगता आ जाती है तो शारीरिक व मानसिक कष्ट तो होता ही है 

अपितु आर्थिक परेशानियों के कारण भी जीवन यापन भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि आपकी कोई आय का साधन नहीं रहता और ऐसी स्थिति में अपने परिवार जनों को कष्ट ना उठाना पड़े इसके लिए इंश्योरेंस पॉलिसी ली जाती है यह तो सही है कि परिवार के लिए आपका जीवन बहुत ही अनमोल अमूल्य होता है क्योंकि प्रत्येक परिवार में मुखिया ही परिवार के खर्चों के लिए आय अर्जीत करता है

 इसलिए ऐसे व्यक्ति का जीवन पूरे परिवार के लिए महत्वपूर्ण होता है जब कभी किन्ही कारणों से कोई अनहोनी दुर्घटना घटित होती है तो परिवार के जीवन यापन के लिए आय का मिलना बंद हो जाता है ऐसी परिस्थितियों में इंश्योरेंस पॉलिसी परिवार को एक निश्चित राशि उपलब्ध करवाती है जिससे कि जीवन की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को समय पर पूरा किया जा सके

टर्म इंश्योरेंस प्लान में बीमा धारक जो अपना बीमा करवाता है उसे बहुत ही कम प्रीमियम राशि पर एक बड़ी रकम का कवर प्रदान किया जाता है क्योंकि यह बीमा जीवन सुरक्षा के लिए लिए होती है इसमें बीमा पॉलिसी में छोटे प्रिमियम का प्रतिवर्ष भुगतान किया जाता है और एक निर्धारित वर्षों तक आपका जीवन इसके अंतर्गत कवर रहता है 

सामान्य रूप से ऐसे टर्म प्लान 10 से 30 वर्षों तक के लिए होते हैं जब डेथ बेनिफिट पॉलिसी की अवधि के अंतर्गत बीमा धारक की दुर्घटना वश मौत हो जाती है तो बीमा राशि नॉमिनी को प्रदान कर दी जाती है
इसमें जब बीमा धारक अपने जीवन की पूरी उम्र जी लेता है तो उसमें मेच्योरिटी बेनिफिट के रूप में कोई भी राशन नहीं मिलती है इस बीमा प्लान के लिए दिए गए प्रीमियम राशि आयकर के सेक्शन 80c के अंतर्गत कर मुक्त होती है ।

कुछ एक टर्म पॉलिसी एडिशनल बेनिफिट प्रोवाइड करवाती है जिन्हें राइडर कहा जाता है

1 एक्सीडेंटल डेथ वाले राइडर पॉलिसी में कुछ अधिक प्रीमियम राशि का भुगतान करना होता है और इस संदर्भ में पॉलिसी धारक अगर एक्सीडेंट में मर जाता है तो बीमा धारक के परिवार को बड़े हुए सम एश्योर्ड के रूप में इसकी सुविधा मिलती है परंतु अगर बीमा धारक के अन्य कारणों से मर जाता है जो कारण बीमा में कवर नहीं है तो एक्सीडेंटल बेनिफिट के अंतर्गत मिलने वाला एडिशनल सम-एश्योर्ड  नहीं मिलता है

2. प्रीमियम रिटर्न ऐसे राइडर के अंतर्गत ली जाने वाली बीमा पॉलिसी में प्रीमियम की राशि साधारण से अधिक होती है और जिसमें पॉलिसी में जितने वर्षों का कवर लिया जाता है तो उस निश्चित टर्म के बाद चुकाये गयी प्रीमियम राशि वापस कर दी जाती है

3. क्रिटिकल इलनेस राइडर इस प्रकार के राइडर में अगर बीमित व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है और वह पॉलिसी में सम्मिलित हो तो समएश्योर्ड के बराबर की रकम पॉलिसी होल्डर को दी जाती है इस में ध्यान देने योग्य वाला महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि गंभीर बीमारी होने की हालत में पूरा पैसा दे दिया जाएगा इसमें बाद में और कुछ नहीं मिलेगा परंतु इसको मेडिक्लेम पॉलिसी नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि उस पॉलिसी में अस्पताल का खर्चा इंश्योरेंस पॉलिसी के द्वारा ही दिया जाता है 

5 जरूरी बातें जरूर ध्यान में रखें ,जब आप हवाई यात्रा कर रहे हैं तो-

बहुत से क्रिटिकल इलनेस राइडर में बीमा धारक के बीमा पॉलिसी खरीदने के पश्चात 90 से 130 दिनों का वेटिंग पीरियड होता है इस वेटिंग पीरियड के समय अवधि में क्रिटिकल इलनेस होने पर किसी भी प्रकार का क्लेम नहीं दिया जाता है आगे भी क्रिटिकल इलनेस सामने आने की परिस्थितियों में भी बीमा धारक को मिनिमम 30 दिनों तक जिंदा रहना आवश्यक होता है 

इसलिए इंश्योरेंस पॉलिसी के संबंध में कहा जाता है कि बीमा पॉलिसी का चुनाव करना और प्रीमियम राशि के भुगतान करने तक ही आपकी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसके संबंध में सभी महत्वपूर्ण बातें आपको मालूम रहनी चाहिए और 

आप पैसा इकट्ठा करने के लिए अपनी बचत को इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आप म्युचुअल फंड व बैंक एफडी-कॉरपोरेट एफडी-सरकारी बांड इत्यादि में निवेश करें क्योंकि इनमें इंश्योरेंस से ज्यादा आपको निवेश का लाभ मिलेगा और आपकी वेल्थ सही प्रकार से बढ़ेगी इसलिए आप मूल रूप से इंश्योरेंस पॉलिसी को अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए जरूरी माने !

टर्म इंश्योरेंस से क्या बेनिफिट है यह जान ले

*विशेषज्ञों द्वारा सबसे अधिक इसकी सिफारिश किया जाना

इस प्रकार के इंश्योरेंस के संबंध में बहुत से आर्थिक सलाहकार विशेष रूप से यह पॉलिसी लेने की सलाह प्रदान करते हैं इनमें लाइफ की सबसे बड़ी रिस्क मृत्यु से निपटने का विकल्प होता है क्योंकि इंसान की जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होता ऐसे में परिवार के मुखिया की अनुपस्थिति में यह आर्थिक रूप से परिवार को संबलता देता है क्योंकि बीमा धारक की मृत्यु होने पर नॉमिनी को बीमा की रकम मिल जाती है

*आयकर में टैक्स छूट के रूप में लाभ

 इसमें जो राशि प्रीमियम के रूप में पॉलिसी धारक अदा करता है वह आयकर अधिनियम 1961 की सेक्शन 80c और सेक्शन 10(10D)के अंतर्गत उस पर कर लाभ मिलता है

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*नॉमिनी को मृत्यु लाभ

इसमें पॉलिसी होल्डर की बीमा अवधि के अंतर्गत मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी व्यक्ति को बीमा की सारी रकम मिलती है

*पॉलिसी पूरा होने पर इस प्रकार के इंश्योरेंस में जो पॉलिसी आप लेते हैं उसके अनुसार पॉलिसी की समय सीमा संपूर्ण होने तक पॉलिसी अगर जारी रहती है तो अब तक जो भी राशि प्रीमियम के रूप में भुगतान हुई है उस पर परिपक्वता लाभ भी नियमानुसार प्रदान किया जाता है

*दुर्घटनाग्रस्त होने पर लाभ इस प्रकार के बीमा में अतिरिक्त सुविधा के रूप में जब भी दुर्घटना बस किसी प्रकार की शारीरिक विकलांगता हो जाती है तो भी इसमें पॉलिसी होल्डर को पॉलिसी नियमों के अनुसार लाभ मिलता है

*टर्म इंश्योरेंस में कम प्रीमियम राशि - इसमें कोई भी व्यक्ति जब अपने जीवन में जल्दी यह पॉलिसी ले लेता है तो उसकी प्रिमियम राशि बहुत ही कम होती है इसके लिए 18 वर्ष की आयु से 30 वर्ष की आयु को कम आयु माना जाता है जिसमें प्रीमियम काफी कम होता है 

यानी जितनी कम उम्र उतना कम प्रीमियम इसमें विशेष प्रकार की छूट के अवसर इंश्योरेंस कंपनी द्वारा बीमा रकम की वैल्यू बहुत ज्यादा होने पर या तंबाकू का सेवन नहीं करने वालों को और महिला पॉलिसी होल्डर को भी विशेष प्रकार के छूट के अवसर समय-समय पर प्रदान किए जा सकते हैं क्योंकि इन मामलों में जीवन के जोखिम की आशंका कम होती है
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4 Tips इंश्योरेंस पॉलिसी वाले ये सावधानी जरूर बरतें

टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी में किन कारणों से नहीं मिलता है क्लेम

A. बीमा धारक कि हत्या होने पर टर्म इंश्योरेंस में कंपनी ऐसी स्थिति में क्लेम देने से मना कर सकती है कि जब बीमा धारक व्यक्ति का मर्डर हो जाए इस प्रकार के विषय में नॉमिनी को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है और जब तक नॉमिनी बेकसूर साबित नहीं होता तब तक उसे क्लेम की राशि नहीं दी जाती है 

जब तक कि नॉमिनी को अपराध के आरोप से मुक्ति नहीं मिल जाती या यूं कहे कि कोर्ट द्वारा निर्दोष साबित होने तक और अगर बीमा धारक व्यक्ति किसी आपराधिक गतिविधियों में इन्वॉल्व रहता है और उसका मर्डर हो जाता है तब भी ऐसे मामलों में क्लेम का मिलना मुश्किल होता है।,

B. जोखिम पूर्ण कार्य करके पर अगर कोई व्यक्ति जो कि बीमा धारक है और वह जोखिम पूर्ण कार्य करता है और ऐसे ही कार्य करते समय उसकी मृत्यु हो जाती है तो इस प्रकार के क्लेम बीमा कंपनी स्वीकार नहीं करती है जीवन पर जोखिम उत्पन्न करने वाले कार्य जैसे बंजी जंपिंग कार रेसिंग मोटरसाइकिल रेसिंग पैराग्लाइडिंग इत्यादि जोखिम पूर्ण खेल या कार्य हैं !

C. नशा करने के कारण हुई मृत्यु अगर ट्रम प्लान लेने वाला व्यक्ति किसी भी प्रकार के नशे की हालत में ड्राइविंग कर रहा हो तो और कोई दुर्घटना घटित हो जाए इसमें बीमा धारक व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो ऐसी कंडीशन में बीमा कंपनी क्लेम देने से मना कर सकती है वह साथ ही किसी प्रकार के ड्रग्स और शराब की ओवरडोज होने के कारण मृत्यु होने वाले बीमा धारक का क्लेम रिजेक्ट करार दिया जाएगा और अक्सर जो लोग ज्यादा शराब का सेवन करते हैं  कंपनी उनको पॉलिसी जारी नहीं करती है

D. पुरानी बीमारी के कारण हुई मृत्यु से अगर किसी पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति को पहले से ही किसी प्रकार का रोग है और ऐसे व्यक्ति ने बीमा खरीदते समय उसकी संपूर्ण जानकारी नहीं दी है तो फिर ऐसे व्यक्ति की उस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाने पर कंपनी पॉलिसी का क्लेम  अस्वीकार कर सकती है और ऐसी स्थिति में एचआईवी ऐड्स से हुई मृत्यु बीमा कंपनी क्लेम में कवर नहीं करती है

E. प्राकृतिक आपदा से मृत्यु कारित होने पर अगर जिसने यह पॉलिसी प्लान लिया है और उस व्यक्ति की मृत्यु प्राकृतिक आपदा के कारण हो जाती है जैसे कि आग लगना-सुनामी जैसे खतरे-चक्रवात और भूकंप- बाढ़ इत्यादि इसमें सम्मिलित हैं तो कंपनी क्लेम रोक सकती है लेकिन अगर ऐसे विषय भी पॉलिसी में अगर सम्मिलित किए गए हैं तो उसका फायदा कंपनी द्वारा मिलेगा!

F. आत्महत्या के मामलों में प्रावधान सभी इंश्योरेंस कंपनी की रेगुलेटर इरडाने लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत आत्महत्या के क्लोज एक में 1 जनवरी 2014 को बदलाव किया है अतः पुरानी पॉलिसी यानी 1 जनवरी 2014 से पहले से जारी पॉलिसी पर वही नियम शर्ते लागू रहेंगी वे उसके पश्चात की पॉलिसी में नए नियम शर्ते लागू होगी

# 1 जनवरी 2014 के पूर्व की शर्ते व नियम- इस प्रकार से हैं इसमें पुरानी शर्तों के अनुसार टर्म प्लान लेने वाला बीमा धारक पॉलिसी लेने के और रिवाइव होने के 1 वर्ष की अवधि के अंदर आत्महत्या कर लेता है तो ऐसी स्थिति में बीमा क्लेम नहीं दिया जाएगा और अगर पॉलिसी के प्रारंभ होने की अवधि से 1 वर्ष की समय अवधि पूरी होने के पश्चात बीमा क्लेम दिया जाएगा कुछ कंपनीज अपने इस पीरियड को 2 साल तक भी रखती है जिसकी जानकारी बीमा खरीदते समय पहले से जान लेनी चाहिए

# 1 जनवरी 2000 बाद की पॉलिसी की शर्तें- अगर बीमा धारक यह प्लान लेने के 1 वर्ष के समय अवधि के अंतर्गत आत्महत्या कार्य कर ले तो लिंक्ड प्लान के विषय में जो नॉमिनी होगा उसे 100% पॉलिसी फंड वैल्यू पानी का अधिकार होगा और नॉन लिंक्ड प्लान के विषय में नॉमिनी को जमा किए गए प्रीमियम के 80% राशि  मिल जाएगी इसमें अन्य एक ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि अगर आत्महत्या बीमा लेने के  1 वर्ष के समय अवधि के पश्चात की जाती है तो यह पॉलिसी रद्द मानी जाएगी, इसका बेनिफिट नहीं मिलेगा।



Term plans मे किस प्रकार की मृत्यु पर क्लेम मिलता है


- नेचुरल डेथ और विशेष स्वास्थ्य मामले-
टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी में मुख्य रूप से प्राकृतिक कारणों से हुवी मृत्यु और स्वास्थ्य कारणों से होने वाली मौत को क्लेम के लिए कवर किया जाता है साथ ही गंभीर रोग के कारण हुई मौत के विषय में भी बेनेफिशरी को क्लेम लाभ मिलता है ।

- एक्सीडेंट्स में होने वाली मृत्यु-
 इस प्रकार की पोलिसी में बीमा धारक की एक्सीडेंट में हुई मृत्यु को कवर किया जाता है जब किसी दुर्घटना में तुरंत मृत्यु होने पर या गंभीर घायल अवस्था के बाद मृत्यु होने पर भी क्लेम मिलता है लेकिन जैसा हम पहले भी जान चुके हैं कि नशे की हालत में वाहन चलाने की स्थिति में एक्सीडेंट होने पर ऐसी मृत्यु होने पर पॉलिसी कवर नहीं मिलता है दुर्घटना मृत्यु में मुख्य रूप से किसी दुर्घटना मैं अचानक हुई मृत्यु को वह अन अपेक्षाकृत मृत्यु को सम्मिलित माना जाता है बीमा पॉलिसीयों में इस विषय में अलग-अलग प्रकार के यह नियम है।

Health insurance polacy ke bare main jankari or beni

क्या 50 वर्ष की आयु में टर्म प्लान लेना सही निर्णय होता है


अगर किसी व्यक्ति की आयु 50 वर्ष है और इस आयु में टर्म प्लान लेने को लेकर दुविधा में है तो सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप अपनी जिम्मेदारी और आवश्यकता ओं के बारे में प्लान बनाएं

 आजकल पहले की अपेक्षाकृत इस प्रकार की बीमा की प्रीमियम राशि 30%से 40% तक कम हो गई है

बहुत से लोगों की यह धारणा होती है कि ज्यादा आयु में ये प्लान लेने पर अधिक प्रीमियम देना होगा और यह सोच एक प्रकार से कुछ हद तक सही भी है लेकिन इस प्लान के लाभ और हानि को देखते हुए हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आजकल आधुनिक समाज में 30 वर्ष की आयु में विवाह होने लगे हैं

और एक सर्वे के मुताबिक विवाह के समय शहरों में पुरुष की औसत आयु 30 वर्ष और वहीं महिलाओं की औसत आयु 26 से 27 वर्ष होती है इसका परिणाम यह है कि परिवार की जिम्मेदारियां कुछ देर से आती है अतः ऐसे मे परिवार में कोई एक ही मुख्य रूप से कमाने वाला होता है तो इस स्थिति में यह प्लान लेना एक सही निर्णय होता है

और अगर किसी ने होम लोन ले रखा है तो उसे आवश्यक रूप से यह प्लान लेना चाहिए और इस प्रकार के प्लान को होम लोन चुकाने तक अवश्य ही जारी रखें जिससे कि कोई अनहोनी होने की हालत में आश्रित परिवार जनों पर भारी बोझ ना पड़े

इसलिए ऐसे प्लान के समय प्रीमियम राशि का चुनाव सिर्फ आयु के आधार पर ना करके अपनी जिम्मेदारियों के आधार पर भी करें

15 Main term Insurance Plans Tips and Important Information इस लेख के संबंध में आवश्यक सावधानी बरती गई है परंतु यदि किसी प्रकार की कोई त्रुटि इस लेख में रह गई हो तो कंपनी की मूल शर्तें ही मान्य होगी और मूल कानून ही प्रभावी होगा !

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