5-rupees old coin कोमागाटा मारू जहाज के चित्र/आकृति वाले 5 रुपए के सिक्के

5-rupees old coin 

5 Rupee Komagata Maru old Coin valuable jankari

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यह सिक्के 1914 में कोमागाटा मारू घटना मैं बाबा गुरदित्त सिंह को याद करते हुए ,और 2014 मे उस घटना को 100 वर्ष पूरे होने के अवसर में 2014 में जारी किया था! इनके निर्माण में  ब्रॉस निकल धातु का उपयोग हुआ है! इस कॉइन का वजन लगभग 6 ग्राम है! और डायमीटर तेईस मिलीमीटर है ! इसकी थिकनेस दो एमएम के लगभग है !  इस के साथ ही सिल्वर/चांदी का एक 35 ग्राम का 100 रुपए का सिक्का भी जारी किया गया था ! इन सिक्कों को रिलीज करने के समय इस सिक्के के यूएनसी कॉइन का मूल्य ₹2644 के लगभग था !और
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2रूपये का सिक्का दिल्ली 2010 कॉमनवेल्थ गेम वाला -जानकारी

 इस प्रकार के सामान्य सिक्कों के 150 से ₹200 का मूल्य मिल सकता है कॉइन कलेक्शन करने वालों के लिए भी यह सिक्का महत्वपूर्ण है

कोमागाटा मारू जहाज  की घटना के बारे में जानकारी और रोचक तथ्य!


कोमागाटा मारू एक भाप की शक्ति से चलने वाला एक जापान में बना समुद्री जहाज था, जिसको  हॉन्ग कॉन्ग में रहने वाले  भारत के बाबा गुरदित्त सिंह ने उस समय खरीदा था। उन्होंने इस समुद्री जहाज में पंजाब के 351 लोगों को अपने  साथ बैठाकर  4 मार्च 1914 को 
बाबा,वेंकूवर -ब्रिटिश कोलम्बिया-कनाडा क़़ो जाने लिए रवाना हुए थे ।

वे तेईस मई को वहां पर पहुंचे, परंतु वहां पर अंग्रेजों ने मात्र 24 लोगो को ही  अपने यहां उतारा ,और बाकी सभी को जबरन वापस रवाना कर  दिया गया। उस वक्त इस जहाज पर 340 सिख, 24 मुस्लिम और 12 हिन्दू लोग थे। जब यह जहाज  बंगाल मैं कोलकाता के बजबज घाट पर पहुंचा गया था ,तो सत्ताईस सितंबर 1914 को वहां पर अंग्रेजों ने गोलियों से फायरिंग करना शुरू कर दिया, जिसमें उस समय इस घटना में 19 व्यक्तियों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई थी। इस घटना के क्रोध ने देश में आजादी की आवाज को और अधिक बुलंद कर दिया।

2 रूपये का सिक्का देशबंधु चितरंजन दास के चित्र/ आकृति वाला

भारत सरकार ने कामागाटामारू घटना मैं इसके हीरो बाबा गुरदित्त सिंह को 100 वर्ष पूर्ण होने पर याद किया है! इसके लिए विशेष तौर पर केंद्र की सरकार ने एक समारोह आयोजित किया,और उनके वंशजों को इसमें सम्मानित किया था!
इस उपलक्ष में  एक 5rupeesका coin और 100 रुपए का एक coin  भी जारी किया।  गुरदित्त जी की पोत्री हरभजन कौर ने इस विषय में जानकारी दी ,कि इस घटना के समय उनके पिता बलवंत सिंह जी दस साल की आयु के थे। वे उस समय इससे बहुत मुश्किल से बच पाए थे।
इसके पश्चात बाबा जी ने बापू का कहना मानते हुए ननकाना साहिब में आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद उनको सात वर्ष के लिए कैद हुई थी। वर्ष 1952 में बंगाल के कोलकाता में तब के समय में प्राइम मिनिस्टर पं. जवाहर लाल नेहरू जी के द्वारा बाबा जी को सम्मानित किया गया था।कनाडा में भी बाबा जी को सम्मान देते हुए ,उनके लिए एक डाक टिकट जारी किया था !


50 पैसे का सिक्का महात्मा गांधी के photo/चित्र वाला कि जानकारी


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