नागरिकता बिल के बारे में जानकारी नागरिकता संशोधन विधेयक बिल क्या है.
What is the citizenship amendment bill नागरिकता संशोधन विधेयक बिल क्या है.
भारत मे आए हुए,हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी एवं ईसाई शरणार्थियों को भारत देश की नागरिकता/Citizenship प्रदान की जा सकेगी। इस विधेयक/कानून के अंतर्गत भारतीय Citizenship को प्रदान करने के हेतु आवश्यक 11 वर्ष तक कि अवधी तक भारत में रहने की अनिवार्य शर्त में राहत देते हुए,इस समय सीमा को केवल 5 वर्ष के समय तक हिंदुस्तान में रहने की शर्त में बदलाव को लागू किया गया है.
इस नागरिकता संशोधन कानून के बिल को लोकसभा के द्वारा 10 दिसम्बर 2019 को एवम् राज्यसभा के द्वारा 11 दिसम्बर 2019 को पारित किया गया था। 12 दिसम्बर को इस पर भारत महामहिम राष्ट्रपति ने अपनी सहमती हस्ताक्षर करके प्रदान कर दी थी. और इसके पश्चात विधेयक एक अब अधिनियम बन गया है। 10 जनवरी 2020 को यह अधिनियम संपूर्ण भारत में प्रभावी भी लागू हो गया है। और इसी संबंध में शुरुआत करते हुए पाकिस्तान से प्रताड़ना सहकर आये हुए 7 शरणार्थियों को हिंदुस्तान की Citizenship देते हुए इस अधिनियम को लागू कर दिया गया है.
नागरिकता अधिनियम की विशेषताएं और विवाद.
नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019 के अंतर्गत प्रावधान है कि पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से अत्याचार और प्रताड़ना सहकर भारत में शरण लेने आए हिन्दू, बौद्ध,सिख,जैन, पारसी धर्म के लोगो को Citizenship दी जायेगी।
इस संशोधित नए बिल मे यह प्रावधान किया गया है की हमारे पड़ोसी देशों के जो अल्संख्यक भारत में यदि 5 साल से रह रहे है. तो अब यह लोग भारत मे नागरिकता प्राप्त कर सकगें। जोकि यह समय अवधि पहले के नियम में भारत देश की नागरिकता प्राप्त करने हेतु 11 वर्ष तक भारत में रहना जरूरी/अनिवार्य था।
31 दिसम्बर 2014 से पहले जो प्रवासी यहां आकर भारत में अवैध रूप से निवास कर रहे है अब वे यहां भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं ।
इस विधेयक/अधिनियम की विशेषता यह है. कि इस कानून में बाहर से आए मुसलमान शरणार्थियों को नागरिकता नहीं दी जा सकेगी जिसके विषय में यह कारण उल्लेखित गया है. कि उक्त देश जो इस अधिनियम में वर्णित किए गए हैं. वह इस्लामीक देश हैं और मुस्लिम बहुल आबादी वाले हैं। जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ता है.और वे अपने देश में अपने सभी हक और अधिकारों की सुरक्षा कर सकते हैं. या उन्हें अपने देश से अपने सभी अधिकारों की पूर्ति की मांग करनी चाहिए.
इस नागरिकता संशोधन बिल के विषय में महत्वपूर्ण इतिहास
बंटवारे के पश्चात महात्मा गांधी ने इस विषय में कहा था. कि पाकिस्तान से जो लोग प्रताड़ित होकर आनेवाले होंगे उन अल्पसंख्यकों को हमारे यहां भारत में रोजगार नौकरी व अन्य आवश्यक महत्वपूर्ण सुविधाएं दी जानी चाहिए । और इसी संबंध में जवाहरलाल नेहरू ने भी अपने वक्तव्य मे कहा। की प्राइम मिनिस्टर आकस्मिक निधि का इस्तेमाल/उपयोग पाकिस्तान से आनेवाले अल्पसंख्यकों के लिए किया जा सकता है.या किया जाना चाहिए।
नागरिकता संशोधन विधेयक बिल के प्रति शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों का विरोध:-
नागरिकता संशोधन बिल पिछले कुछ समय से भारत में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है. इस अधिनियम को लेकर भारत के मुसलमानों में अनेक अपनी धारणाएं या गलतफहमियां है. जबकि इस कानून में कहीं भी किसी भी प्रकार से यह प्रावधान नहीं किया गया है. कि भारत में मौजूदा किसी भी व्यक्ति को चाहे वह किसी भी धर्म वह समुदाय का हो उसकी नागरिकता को समाप्त किया जाएगा. बल्कि इस कानून अधिनियम में महत्वपूर्ण रूप से यही प्रावधान किया गया है कि वर्णित लोगों को भारत में Citizenship दी जाएगी .परंतु कुछ लोग इस विषय में भारत में तरह-तरह के भ्रम फैला रहे हैं .इसके परिणाम अलग-अलग जगह पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं. और इसका एक ताजा और महत्वपूर्ण दिल्ली का शाहीन बाग है.नागरिकता संशोधन विधेयक मे भाषा की टूटती मर्यादा
इस कानून का विरोध करते हुए इंडिया में राजनीतिक दलों ने और प्रदर्शनकारियों ने भारत के प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के विरुद्ध बहुत सारी ऐसी भाषा का प्रयोग किया है. जो किसी प्रकार से नैतिकता पूर्ण नहीं कही जा सकती है .जो संविधान बचाने की बात करते हैं उनके विचारों को सुना जाए तो यही मालूम होगा. कि उनके तर्कों मैं किसी प्रकार की कोई भी सच्चाई नहीं है उन्होंने हमारे देश के प्रधानमंत्री गृहमंत्री के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया है. जिन्हें किसी प्रकार से भी संवैधानिक या मर्यादा पूर्ण नहीं कहा जा सकता है.
नागरिकता विधेयक के विरोध में दिल्ली में हुए दंगे
इस विधेयक के विरोध में दिल्ली में कुछ असामाजिक तत्वों के कारण धार्मिक तनाव फैल गया. जिसके कारण दिल्ली में राष्ट्रपति ट्रंप के इंडिया दौरे के नमस्ते ट्रंप प्रोग्राम के समय दंगों को फैलाया गया. जिससे कि हमारे देश की प्रतिष्ठित छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम करने का प्रयास किया गया. इस हिंसक प्रदर्शन में बहुत लोगों की जिंदगियां समाप्त हो गई . लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए खुद को घरों में कैद कर लिया था .दिल्ली की जनता मे भय का माहौल बन गया था. और राजधानी में भीड़ के आगे व्यवस्था बहुत लाचार सी प्रतीत होने लगी थी. अराजकता का ऐसा माहौल पहले कभी किसी ने ना देखा था.
अधिनियम का मूल सारांश
इस कानून/अधिनियम के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश से 31 दिसम्बर 2014 के पहले भारत मे आये हुए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई समुदाय का धर्म के लोगों को भारत मे Citizenship देने के प्रावधान किए गए हैं
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