जिस बच्ची को अस्पताल ने मरा हुआ बता दिया उसे दफनाने के समय पर वह कैसे जिंदा हो उठी.

 अस्पताल में मृत घोषित कर दी गई बच्चे
प्रतीकात्मक चित्र

ये मामला उदयपुर का है. चिकित्सा कर्मचारियों को अक्सर लोगों द्वारा भगवान का दर्जा दिया जाता है। कोरोना वायरस माहामारी के वजह से हुए पहले  लॉकडाउनका समय आपको अच्छी प्रकार याद होगा. कि इन चिकित्साकर्मियों व सभी कोरोना वारियर्स के सम्मान में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश के सभी लोगों ने थालीयां बजाई थी,

लेकिन कभीकभी चिकित्सा कर्मचारियों द्वारा ऐसी
लापरवाही और चूक हमारे समक्ष आती है.कि डाक्टरों का यह दर्जा सम्मानजनक नही रहता है। उदयपुर के गोगुंदा में चिकित्सालय के कर्मचारी द्वारा लापरवाही का ऐसा ही एक संगीन वाकया सामने आया है। यह गंभीर लापरवाही रोंगटे खड़ी कर देने वाली है। इसमें एक नर्स ने नवजात बच्ची को मरा हुवा बताया था.

मामला उदयपुर के गोगुंदा के पास  का है। यहां एक नर्स ने जीवित नवजात बच्ची को मृत बताकर परिजनों के सुपुर्द कर दिया। गनीमत ये रही कि परिजन नवजात बच्ची को मृत समझकर  दफनाते, उससे पहले ही उस नन्ही बच्ची कि रुलाई फूट पड़ी। दरअसल, गोगुंदा ब्लॉक के अन्तर्गत में  एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा के होने पर 104 एंबुलेंस से यहां पर भर्ती कराईगई।

महिला का पीएचसी में सिस्टर  द्वारा प्रसव कराया गया था। सिस्टर  ने जब नवजात बच्ची को जब चेक किया तो उसे मृत घोषित कर दिया.और फिर प्रसूता की सास को इसके बारे मैं जानकारी दी गई। प्रसूता की सास को सिस्टर  ने इस नवजात को एक पॉलिथीन में पैक कर के दे दिया गया ।

 परिजन इस नवजात को मरा हुवा मानकर दफनाने के लिए चले गए, लेकिन इसी दौरान बच्ची के
रोने की आवाज सुनाई देने लगी । बच्ची के रोने की आवाज से परिजनों को यह ज्ञात हुआ कि यह बच्ची तो जिंदा है. इस पर परिजनों ने राहत की सांस ली

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