1 विशेष घटना पर, विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कब और क्यों मनाया जाता है! क्या है विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर ,मोदी जी ने क्या कहा है!
Vibhajan vibhishika smriti Divas August 14 kab manaya jaega,
सरकार ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि, भारत विभाजन के समय लोगों द्वारा भयंकर यातनाएं और वेदना सही गई ,जिनका वर्तमान और भावी पीढ़ियों को ज्ञान रहना चाहिए ,इस वेदना भरे समय का स्मरण हमें सदैव याद रखना चाहिए इसके लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जाएगा, जिसकी गजट अधिसूचना में जानकारी सार्वजनिक की गई है!
आज से ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर 14 अगस्त, को मनाया जाएगा
75 वर्ष पूर्व 14 अगस्त को अखंड भारत के दो टुकड़े हो गए, इस ऐतिहासिक घटना के दर्द को याद करते हुए, भारत की आजादी की सालगिरह से 1 दिन पूर्व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने घोषणा की है की ,आज से हर वर्ष 15 अगस्त हमारे स्वतंत्रता दिवस से 1 दिन पूर्व 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा, हमारे देश का विभाजन किस प्रकार से विभीषिका बनी एवम् इसका असर आज भी हमारे जीवन में देखा जाता है, इसको याद करने के लिए खास दिवस के रूप में 14 अगस्त को यह मनाया जाएगा!
विभाजन विभीषिका समृति दिवस किस तारीख को कब मनाया जाता है!
इस विषय में प्रधानमंत्री मोदी जी ने शनिवार को एक ट्विटर पर ट्वीट के माध्यम से कहा कि देश के विभाजन के दर्द को कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा, हिंसा और नफरत के कारण हमारे लाखों भाइयों और बहनों को विस्थापित होना पड़ा और अपने प्राणों तक गंवाने पड़े , उस समय के उन लोगों के बलिदान और संघर्ष की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद करने का निर्णय लिया है, प्रधानमंत्री जी ने यह भी कहा कि विभाजन के कारण हुई भयंकर हिंसा एवम् नासमझी से नफरत के कारण लोगों को विस्थापित होना पड़ा और अपने जीवन को भी उन्होंने गंवा दिया!
"प्रधानमंत्री में आज क्या कहा"
प्रधानमंत्री जी ने इस विषय पर कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस,
“सामाजिक विभाजन, वैमनस्यता के जहर को समाप्त करने एवं एकता, सामाजिक सद्भाव व मानव सशक्तीकरण की भावना को ओर मजबूत करने की आवश्यकता की स्मरण दिलाए.” प्रधानमंत्री ने इस बारे में आगे कहा, “यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य एंव दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए ना केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव व मानवीय संवेदनाएं भी अधिक मजबूत होंगी.” पाकिस्तान को 1947 मे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के द्वारा भारत के विभाजन के पश्चात एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी गई . लाखों लोग को विस्थापित होना पड़ा, तथा बहुत बड़े पैमाने पर हिंसक दंगे भड़कने के कारण, कई लाख लोगों की जानें भी चली गई थी.
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर "भारत का राजपत्र" में प्रावधान के बारे में जानकारी!
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के संबंध में 14 अगस्त को केंद्र के गृह मंत्रालय की तरफ से भारत सरकार का राजपत्र अर्थात गजट जारी किया गया था, और इस अधिसूचना में यह कहा गया कि,जहां भारत के लोग आजादी कै अमृत महोत्सव मनाते हुए
अपनी प्रिय मातृभूमि के उन बेटियों एवं बेटों को नमन करते हैं, जिन्हें भारत के वीभाजन के दौरान उस वक्त अपने प्राण न्योछावर करने पड़े थे, एवं इसपर भारत सरकार ने विभाजन कै दौरान अपने प्राणों को गंवाने वाले लोगों कि याद मे 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’के रूप मे घोषित करने का निर्णय लिया है. अतः भारत सरकार-भारत की वर्तमान एंव आने वाली भावी पीढ़ियों को विभा-जन के समय के दौरान लोगों द्वारा सही गई, यातना व वेदना का स्मरण दिलाने के लिए, 14 अगस्त के दिवस को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस"के रूप मे घोषित करती है!
क्या है, विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस ये क्यों मनाया जाता है!
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का कारण, भारत देश का विभा-जन किसी विभीषिका से कम नहीं था,उस दर्दनाक वाकीये का दर्द आज भी देश को सहना पड़ रहा है,भारत देश के लोगों ने लाखों कुर्बानियां दी है, ब्रिटिश हुकूमत से आजादी को प्राप्त करने में!
परंतु भारत देश की आजादी के साथ जो देश का उस समय विभा-जन हुआ एवं पाकिस्तान अस्तित्व में आया विभा-जन से पूर्व पाकिस्तान का कोई अस्तित्व एवं नामोनिशान नहीं था, अंग्रेज शासन के षड्यंत्र का यह प्रतिफल था, कि भारत का बटवारा करके एक और देश बनाया जाए यह वीभाजन कोई सामान्य घटना नहीं थी, और वैसे भी किसी भी देश का वीभाजन कभी भी कोई साधारण घटना नहीं होती है,लेकिन भारत के लिए यह घटना बहुत ही दर्द भरी और भयानक थी!
उस विभाजन की घटना के अंतर्गत 14 अगस्त 1947 का दिन देश के इतिहास का एक बहुत गहरा घाव है,
और ऐसा घाव है,जो हमारे दिलों में हमारे सोच में हमेशा ताजा रहा है, यही वह दिन था ,जब देश का बंटवारा हुआ एवं पाकिस्तान को एक अलग देश बनाया गया, बंटवारे की जो शर्त भारत को अंग्रेजों से आजादी में मिली, इस वीभाजन में भारत उपमहाद्वीप के दो टुकड़े कर दिए गए, इस बंटवारे के कारण आगे बंगाल का वीभाजन किया गया ,जिसमें बंगाल का पूर्वी हिस्सा भारत से अलग कर दिया गया और पूर्वी पाकिस्तान बना जिसके बाद 1971 में बांग्लादेश के रूप में वह स्वतंत्र राष्ट्र बना,भारत का जो यह बंटवारा हुआ, वह शांतिपूर्ण किसी प्रकार भी नहीं कहा जा सकता,
इस ऐतिहासिक घटना में बहुत से खूनी मंजर देखे गए और हम यह भी कह सकते हैं कि, भारत का बटवारा सबसे बड़ा खूनी घटनाक्रम का दस्तावेज है, जिसको हमेशा समय-समय पर हमें उलट पलट कर देखना पड़ता है ,दोनों ही देशों के मध्य जो बंटवारे की लकीर खींची गई, उस समय से रातो रात लोग अपने ही घरों से अपनी जमीनों से अपने देश से बेगाने और बेघर हो गए, धर्म और मजहब के नाम पर लाखों लोग ना चाह कर भी इस सरहद के पार से उस सरहद के पार जाने को मजबूर होना पड़ा, इस देश की अदला बदली में लाखों निहत्थे और बेगुनाह लोगों का कत्लेआम हुआ और उस भयानक कातिलाना हमले में जो लोग अपनी जान बचा पाए, उनका जीवन हमेशा के लिए तहस-नहस हो गया!
उनकी जिंदगी पर वह घटना बहुत बड़ी दुर्घटना के समान है , बनवारी कि वह घटना हमारे देश के लिए बहुत बड़ी त्रासदी थी, यह किसी देश के भौगोलिक सीमाओं का बटवारा ही नहीं था, बल्कि लोगों के विश्वास और भावनाओं का भी बंटवारा जैसा था, जो कि समय-समय पर किसी भयानक सपने की तरह याद आ ही जाता है, और हमेशा याद आता रहेगा!
Comments
Post a Comment