Janmashtami - 2022 इस साल कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? पता करें मुर्ती चयन जन्माष्टमी व्रत के नियम,जन्माष्टमी श्रृंगार, जन्माष्टमी पूजन विधि, जन्माष्टमी प्रसाद जानकारी!

 

Janmashtami 2022 कृष्ण जन्माष्टमी 3 खास बातें मूर्ति, श्रृंगार और प्रसाद के बारे में व ये 6 काम व्रत करने वालों को नहीं करने चाहिए!


जन्माष्टमी मुख्य रूप से जन्माष्टमी एवं गोकुलाष्टमी के रूप में भी जानी जाती है, ये वार्षिक हिंदू त्योहार होता है, जो कि विष्णु भगवान के आठवें अवतार श्री कृष्ण जी के जन्म का उत्सव के रूप में  मनाया जाता है, इसे हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार,कृष्ण पक्ष यानी कि (अंधेरे पखवाड़े) के आठवें दिन{अष्टमी} को श्रावण मास या भाद्रपद में मनाया जाता हैं!


क्योंकि भगवान कृष्णजी का जन्म अष्टमी तिथि कौ हुआ , इस कारण से जन्माष्टमी का निर्धारण करने में अष्टमी तिथि का बहुत ही ध्यान रखा जाता हैं!इस दिन भगवान कृष्ण जी कि पूजा ध्यान करने से संतान के प्राप्ति में,आयु वृद्धि में एवम् समृद्धि कि प्राप्ति होती है! तो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को कृष्ण जी को मनाकर सभी मनोकामनाओं को  पूरा किया जा सकता है!




जन्माष्टमी के लिए कैसे करें, श्री कृष्णजी की मूर्ति का चयन/चुनाव?


सामान्य रूप से जन्माष्टमी के पावन पर्व पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है! लेकिन आप इसमें अपनी आवश्यकता एवं मनोकामना को आधार पर जिस स्वरूप को भी चाहें उसे स्थापित कर सकते हैं, प्रेम एवं दाम्पत्य जीवन में खुशियों के लिए राधा कृष्णजी की, संतान प्राप्ति के लिए बाल कृष्ण जी की एवम् सभी मनोकामनाओं के लिए, बंशी वाले श्री कृष्ण जी की स्थापना करें, इस दिन को शंख एवं शालिग्राम की स्थापना भी आप कर सकते हैं!


 ऐसे करें कृष्ण जी का श्रृंगार !


श्री कृष्णजी के श्रृंगार में सुन्दर फूलों का अधिक उपयोग करें. पीले रंगों के वस्त्र, गोपी चन्दन एवम् चन्दन की सुगंध से इनका सुन्दर श्रृंगार करें. इसमें आप काले रंग का उपयोग नहीं करें, एवम् अगर श्रृंगार में वैजयंती के फूलों को अगर श्रीकृष्ण भगवान को अर्पित किया जाएं  तो ये सर्वोत्तम होगा!


जन्माष्टमी पर श्री कृष्णजी का प्रसाद तैयार कैसे करें?


इसमें आप पंचामृत अवश्य अर्पित करें! उसमे साथ ही तुलसी दल को भी जरूर से डाला जायें,माखन व मेवा एवम मिसरी का भोग भी लगायें.  इस दिन बहुत से स्थानों पर , धनिये से बनाये जाने वाली पंजीरी भी अर्पित की जाती है! सम्पूर्ण रूप से सात्विक भोजन तैयार करें, जिसमें की तमाम प्रकार के बहुत अच्छे व्यंजन हों, इस दिन के अवसर पर कृष्णजी को अर्पित किए जाते हैं!



इस दिन कैसे मनाएं जन्माष्टमी का पर्व?


प्रातःकालीन समय को  स्नान करके  व्रत एवं पूजा का संकल्प लें, दिन भर को आप जलाहार या फलाहार ग्रहण करें एवम् सात्विक रहें,मध्यरात्रि को भगवान कृष्णजी के धातु की मुर्ति को किसी साफ पात्र में रख लें. उस मुर्ति/प्रतिमा को शुरू से दूध,दही,शहद,शर्करा एवं अंत मे घी से स्नान करायें,इसी को पंचामृत स्नान भी कहा जाता हैं!


इसके पश्चात मुर्ति/प्रतिमा को जल से स्नान करायें! इसके बाद पीताम्बर, पुष्प और प्रसाद भगवान को अर्पित  करें. इसमें विशेष ध्यान रखें कि अर्पित की जाने वाली चीजों को शंख में डालकर ही अर्पित कीयें जाएं. पूजा करने वालें व्यक्ति काले एंव सफेद वस्त्र को धारण नहीं करेगा. इसके पश्चात अपनी मनोकामना के अनुरूप-अनुसार मंत्र का जाप करें,अंत में प्रसाद आप ग्रहण करें और इसका जरुर से वितरण करें.


जन्माष्टमी का त्योहार‌ वह पर्व हर वर्ष भाद्रपद मास को कृष्ण पक्ष के दिन अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। एक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार- इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, भगवान श्रीकृष्णजी के भक्तों को इस विशेष दिन का  इंतजार बेसब्री से रहता है, इस दिन को लोग रात्रि 12 बजे बाल गोपाल की पूजा-अर्चना करने के बाद में व्रत उपवास को खोलते हैं! भगवान विष्णुजी के 8 वें अवतार भगवान श्री कृष्ण ने कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था!



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श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना से संतान और आयु का वरदान प्राप्ति-

इस वर्ष जन्माष्टमी का संयोग ----- को बन रहें है!  श्री कृष्णजी भगवान का जन्म भाद्रपद के कृष्ण अष्टमी तिथि को होने के कारण से, इसको कृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता हैं. इस दिन श्रीकृष्ण भगवान  की पूजा अराधना करने से, सुपुत्र संतान  की प्राप्ति होती है,आयु एवम् समृद्धि की प्राप्ति होती है!जिन लोगों का भी  चंद्रमा कमजोर है ,वे आज के दिन विशेष पूजा करने पर जीवन में लाभ प्राप्त कर सकते हैं, 



जन्माष्टमी के दिन ना करें, ये प्रकार के 6 काम-


1. भगवान ने इस दुनियां प्रत्येक व्यक्ति को समान बनाया है! इस लिए आप किसी का भी, अमीर व गरीब के रूप मे अनादर एवं अपमान बिल्कुल ना करें, सभी लोगों के साथ से विनम्रता एवम् सहृदयता के साथ व्यवहार करें, आज के दिन किसी के साथ दूसरों के साथ भेदभाव करने पर Janmashtami का पुण्य फल नहीं मिलता है!


2. शास्त्रों में वर्णन के अनुसार, एकादशी और Janmashtami के दिन को चावल , जौ से बना हुआ भोजन नहीं खाना चाहिए, क्योंकि चावल को भगवान शिव का रूप भी माना गया है,


3.कई पौराणिक मान्यताओं कै अनुसार, Janmashtami का व्रत-पूजन करने वाले को भगवान कृष्णजी के जन्म होने तक यानी कि रात्रि 12 बजे के समय तक ही व्रत का पालन करना चाहिए!

 इससे पहले (पुर्व)अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए! इस दिन बीच में व्रत/उपवास तोड़ने वालों को व्रत का फल नहीं मिलता है!


4.यह भी मान्यता है कि, Janmashtami के दिन को  स्त्री-पुरुष को ब्रह्मचर्य का पालन करना संयमित रहना चाहिए,ऐसा न करने वालों को पाप दोष लगता है।


5.मान्यता यह भी है  कि भगवान श्रीकृष्णजी को गौ अत्यंत प्रिय हैं, इस दिन को गायों की पूजा और सेवा करने पर विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है, किसी भी पशु को परेशान करना ल सताना नहीं चाहिए।


6.मान्यता है, कि जिस घर परिवार में भगवान की पूजा की जाती हो वहां कोई व्रत रखता हो, उस घर के सदस्यों को Janmashtami के दिन को लहसुन एवं प्याज जैसी तामसिक वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इस दिन को संयमित रहते हुए, पूरी तरह से सात्विक आहार को ही ग्रहण करना चाहिए!


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